Ratan tata:- Ratan Tata जी द्वारा रखा गया Empoly -shantanu naidu को टाटा ग्रुप की सौंपी गई बड़ी कमान.??

Shantnu Naidu:- shantnu Naidu जो एक स्टूडेंट था जिसे रतन टाटा जी ने अपना असिस्टेंट बना रखा था फिर बाद में उसे रतन टाटा जी द्वारा उसे GM(General manager) पद रखे थे
अभी हाल ही में शांतनु नायडू को GM पद से प्रमोट कर टाटा ग्रुप का एक्जीक्यूटिव ऑफिसर बना दिया गया।. आइए जानते हैं शांतनु नायडू कौन हैं कैसे मिली टाटा ग्रुप में नौकरी.??

Ratan tata:- Ratan Tata जी द्वारा रखा गया Empoly -shantanu naidu को टाटा ग्रुप की सौंपी गई बड़ी कमान.??
*Shantnu Naidu का परिचय:-शांतनु नायडू भारतीय व्यवसाई और लेखक है शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे के एक तमिल परिवार में हुआ था शांतनु की स्कूली शिक्षा और कॉलेज पुणे से ही हुआ है इनकी कॉलेज की पढ़ाई -शांतनु कॉर्नेल युनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन(MBA) में मास्टर डिग्री हासिल किए है.!
*Ratan tata और shantnu Naidu की दोस्ती कैसे शुरू हुई :-शांतनु नायडू सड़क पर रहने वाले आवारा कुत्तों की सुरक्षा के लिए एक पहल चालू किए जो “Glow in the dark colour”के नाम से जाना जाता हैhttps://indiatime6067.com/brezza-car/
जब रतन टाटा जी को इस पहल के बारे में पता चला तो रतन टाटा जी ने शांतनु नायडू को मिलने के लिए बुलाया! और फिर शांतनु नायडू के बातचीत के तौर तरीके से प्रभावित हुए तथा साथ ही जानवरों के प्रति गहरी संवेदनशीलता रखा करते है इसी वजह से रतन टाटा जी को शांतनु नायडू भा गए और दोनों लोग की आपस मिलते हुए सोच के साथ साथ vision भी एक ही था कि किसी भी जीव को किसी प्रकार की समस्या ना आए और इसी दोस्ती के बीच रतन टाटा जी ने शांतनु को जॉब ऑफर कर दिये.
*शांतनु नायडू -रतन टाटा जी के पर्सनल असिस्टेंट कैसे बने: शांतनू नायडू इंजीनियरिंग पूरा करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले थे तभी रतन टाटा जी ने शांतनु को अपना PA (persnol assistent) बनने का प्रस्ताव रख दिया जो शांतनु को बेहद पसंद आया और उसने इस जॉब को accept कर लिया और जॉब के साथ साथ आगे के पढ़ाई यही इंडिया में रह करके कंटिन्यू रखे.


*शांतनु नायडू का रतन टाटा जी के साथ इतना गहरा संबंध कैसे हुआ:-शांतनु नायडू को रतन टाटा जी के साथ काम करने के दौरान उनकी जीवन शैली और मूल्य तथा सोच को नजदीक से जानने का मौका मिला। शांतनु अकसर time रतन टाटा जी के साथ बिताते शांतनु बताते हैं कि अकसर रतन टाटा जी उन्हेंhttps://indiatime6067.com/wp-admin अपनी बीती हुई पुरानी यादों को साझा करते थे..
*जिसकी वजह से धीरे धीरे यह रिश्ता प्रोफेसनल नहीं रहा बल्कि गुरु -शिष्य की बन गयी! दोनों लोग अच्छे दोस्त बन गए।.
*शांतनु नायडू जब अपनी किताब रतन टाटा जी के साथ साझा किए:-शांतनु जब अपनी किताब”I come upon a light house”जब रतन टाटा जी के साथ साझा किया उन्हें ये किताब बेहद पसंद आईं और अनुभव तथा समय के साथ साथ रतन टाटा जी और शांतनु के साथ रिश्ता गहरा होता गया.!
निष्कर्ष:-रतन टाटा जी और शांतनु के इस कहानी से यह सिख मिलती है कि दोस्ती कभी और किसी के साथ कभी भी हो सकती है चाहे वह कोई भी हो बस सोच vision मिलते रहने चाहिए.!!

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